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Quotes

अनुराधा वैसे तो कभी बैंक नहीं जाती थी, क्योंकि उसके पति बैंक में ही काम करते थे ... तो जो भी काम होता था वो घर पर ले आते थे | लेकिन साल में एक बार वो लॉकर में रखे हुए अपने गहने देखने ज़रूर जाती थी | मायके और ससुराल का सारा ज़ेवर वो छू कर देखती तो उसे असीम सुख मिलता
था |
शेखर बैंक में बैक ऑफिस में का करता था तो कभी दिन और कभी रात की ड्यूटी रहती थी|
शेखर वहीं किसी से बात करने लगा तो अनुराधा इधर-उधर देखने लगी | तभी उसकी नज़र एक महिला पर गयी | जो हाथ में फाइल पकड़े हुए शायद अपने नंबर आने का इंतज़ार कर रही थी |
शेखर ने उसे आवाज़ दी और चलने को बोला | अनुराधा शेखर के साथ बाहर आ गई | अचानक ही वो शेखर से बोली ..". एक मिनट मै अभी आई ....क्या हुआ?? शेखर ने पूछा अनुराधा बिना उसकी बात का जवाब दिए आगे बढ़ गयी |
अंदर जाकर वो उस महिला के पास गई और बोली रेनू... रेनू शर्मा वो महिला उठ खड़ी हुई.... जी मैं रेनू शर्मा ही हूँ आप?
अरे मैं हूँ अनुराधा .... अनु अरे रुद्रपुर गवर्मेंट स्कूल क्लास 6th कुछ याद आया |
अनु तू.,.. हाँ मैं ....कहते हुए अनुराधा ने उसे गले से लगा
लिया |
तब तक शेखर भी वापस अंदर आ गए | अनुराधा ने रेनू को शेखर से मिलाते हुए कहा - ये मेरी बचपन की सहेली रेनू है |
अच्छा- हैलो शेखर ने कहा
रेनू ने हाथ जोड़ कर नमस्ते किया |
लेकिन तू यहाँ कैसे... अच्छा वो सब छोड़ पहले घर चल |
अनुराधा रेनू को अपने साथ घर ले कर आ गई | उसने चाय बनाई और दोनों को दी |
शेखर दोनों को साथ में छोड़ कर अंदर चला गया |
रेनू ने बताया कि उसके पति का देहांत हो गया है.. कैंसेर हुआ था.. पति की एम. एन. सी. में नौकरी थी तो इलाज में ज़्यादा कोई परेशानी नहीं हुई | कम्पनी वालों ने सब किया | एक बेटी है मेरी ,...ससुराल वालों ने रखा नहीं ....और जो कुछ उसके पति का हिस्सा था वो भी नहीं दिया.... पापा भी नहीं रहे | मैं अकेली ...थी सब रिश्तेदार भी मतलबी निकले इनके दोस्तों ने भी किसी तरह से कोई मदद नहीं की | दुनिया ऐसी है ये इनके जाने के बाद पता चला | मम्मी को लेकर यहीं आ गयी एक मकान इन्होंने लिया था 3bhk उसके पेपर्स मेरे पास है उसे बेच कर छोटा घर और सिलाई का का शुरू करूँगी | उसी के पेपर्स को चेक कराने के लिए बैंक आई थी |
"बेचना क्यों है उसी में काम शुरू कर ना" ?
"काम शुरू करने के लिए भी तो पैसा चाहिए ना? " सब कुछ सेट अप करना मेरे पास कुछ कहाँ है?
रुक - अनुराधा ने कहा
वो अंदर गयी और थोड़ी देर के बाद शेखर के साथ वापस
आयी |उसने रेनू से कहा रेनू शेखर के पास सोल्यूशन है |
तू लोन ले गारण्टर हम बन जायेंगे तुझे घर बेचने की ज़रूरत नहीं है | और बाक़ी जो भी काम है वो शेखर देख लेंगे तू फ़िक्र मत कर |
रेनू की आँखे नम हो गयी वो बोली -" सच में तू भगवान् बन कर आयी है मेरे लिए ...
"अरे कुछ नहीं तेरा काम होना ही था मैं नहीं तो कोई और होता .. लेकिन मेरा काम तू फ्री में कर के देगी | रेनू ने आँखों में आंसू भरे हुए गर्दन को हाँ में हिला दिया |
एक हफ़्ते के अंदर ही रेनू का सब काम शेखर ने करवा
दिया था |
आज रेनू के बुटीक का शुभारंभ होना था |
अनुराधा और शेखर के हाथ से नारियल फोड़कर और रिबन कटवाकर बुटीक का शुभारंभ हुआ |
रेनू ने लड्डू खिलाते हुए अनुराधा से कहा -" अनु तूने मेरी ज़िंदगी को बचा लिया | कहते है डूबते हुए को तिनके का सहारा काफ़ी होता है तू मेरे लिए वो भगवान् का भेजा हुआ तिनका बन कर आयी | और दो बूँद आँसू की उसके आँखों से निकल कर अनुराधा के हाथ पर गिर गयी |
" अरे कुछ नहीं अब तू अपना काम शुरू कर और हाँ .,....मैं तुझे पैसे नहीं देने वाली याद है ना?
कह कर अनुराधा ने उसे गले से लगा लिया |
#तिनके का सहारा

"मदद"
" देखिये सर मुझे आज के आज अपना अकाउंट मर्ज करवाना है इतने दिन हो गये चक्कर काटते हुए !" वसुधाजी बैंक कर्मी से बोली।
" मैडम आपको कहा ना सोमवार को आना !" बैंक कर्मी ने लापरवाही से कहा । इससे पहले की वसुधा जी कुछ बोलती अचानक एक लड़की ने आकर उनके पैरो को छुआ वसुधा जी के हाथ स्वतः ही आशीर्वाद देने को उठ गये। सारा स्टॉफ यहाँ तक कि बैंक मे आये लोग भी हैरानी से सब देख रहे थे।
" बेटा तुम कौन ?" उन्होंने उस लड़की से पूछा।
" मेम पहले आप अंदर आइये फिर बताती हूँ मैं !" वो लड़की वसुधा जी का हाथ पकड़ मैनेजर के कमरे की तरफ बढ़ गई और उन्हे आदर सहित कुर्सी पर बैठाया और स्टॉफ को बुला उनका काम करने को कहा।
"पर बेटा तुम हो कौन और मेरी मदद क्यो कर रही हो ?" वसुधा जी अभी भी हैरान थी।
" मेम आपने मुझे नही पहचाना मैं शालू हूँ याद है जब मैं आठवीं क्लास मे थी गणित मे कितनी कमजोर थी मेरी माँ घरो मे काम कर किसी तरह हमारा खर्च उठा रही थी आपने मुझे मात्र पचास रुपए मे ट्यूशन पढ़ाया और इतने अच्छे से पढ़ाया की गणित मेरा पसंदीदा विषय बन गया ।दो साल बाद आप तो वहाँ से चली गई पर मैने दिन रात एक किया और आज इस मुकाम पर आ गई !" वो लड़की बोली।
" अरे वाह बेटा तुम अपनी मेहनत के बलबूते यहाँ तक पहुंच गई बहुत खुशी हुई सुनकर !" वसुधा जी खुश होते हुए बोली।
"मेम ये आपकी वजह से संभव हुआ है वरना शायद मैं तो कबकी पढ़ाई छोड़ माँ की तरह घरो के काम कर रही होती !" शालू बोली।
" बेटा मैने तो बस तिनके का सहारा दिया था पहाड़ तो तुमने पार किया ना !" वसुधा जी उसे आशीष देती बोली।
" मेम वो तिनके का सहारा ही बहुत था पहाड़ पार करने को । वैसे एक बात तब समझ नही आई पर अब पूछना चाहती हूँ आप उस वक़्त हर बच्चे से 500 रुपए लेती थी तो मुझसे 50 रुपए क्यो लिए आप चाहती तो फ्री मे भी पढ़ा सकती थी क्योकि 50 रूपए का आपके लिए कोई महत्व नही था।" शालू ने पूछा।
" बेटा अगर मैं तुम्हे फ्री पढ़ाती तो तुम्हे और तुम्हारी मम्मी को शायद उसकी कीमत समझ ना आती क्योकि तुम्हारी मम्मी के लिए 50 रुपए भी मायने रखते थे इसलिए वो तुम्हे रोज मेरे पास भेजती थी और तुम भी अपनी माँ की मेहनत देख जी जान से पढ़ने लगी थी। बस इसलिए मैने तुम्हे फ्री मे नही पढ़ाया क्योकि कई बार उसका महत्व नही होता या सामने वाला शर्मिंदा भी हो सकता है इससे !" वसुधा जी ने समझाया।
" वाह मेम आज आपने एक और नई सीख दी मुझे मैं इसे भी याद रखूंगी कि किसी की मदद ऐसे करो जो ना तो मदद का महत्व कम हो ना इंसान शर्मिंदा हो !" शालू बोली। वसुधा जी का काम हो गया था तो वो शालू को घर आने का निमंत्रण दे और शालू का नंबर ले वापिस आ गई। आज उन्हे बहुत खुशी हो रही थी क्योकि उनका दिए तिनके के सहारे ने किसी की जिंदगी बना दी थी।

बेटियों को बोलने दीजिए...!
कितनी ज्यादा मार्केटिंग करनी है सुरभि हड़बड़ा रही थी.. अभी तो रिंकू चिंकी की बर्थडे ड्रेसेज भी लेनी है और चिल्ड्रंस वियर शॉप काफी दूर है लेकिन खरीदना तो उसी दुकान से पड़ेगा बच्चे छोटे भले हैं लेकिन कपड़े पहनने के बहुत नखरे हैं दोनों के ...लड़के हों या लड़कियां आजकल कपड़े के मामले में कितने चूसी रहते हैं उस दिन मैंने कहा भी कि रिंकू की नई जींस है चिंकी तुझे फिट आ जायेगी तू पहन लेना रिंकू के लिए नई ला दूंगी आखिर बढ़ता हुआ लड़का है लेकिन क्या मजाल जो चिंकी ने हाथ भी लगाया "हुंह भैया की मैं क्यों पहनूगी मम्मा आप मेड को दे देना मेरे लिए भी नई ला देना...!कितना बोलती हो चिंकी तुम लड़कियों को इतनी बेबाकी से बोलना शोभा नहीं देता बेटा....अपनी बेटी के इस तरह नाक चढ़ाकर बोलने से मैं नाराज हो गई थी।आखिर लड़की है थोड़ा सहनशील होना चाहिए लड़कियों को अपनी ज़िंदगी में कितना कुछ सहन करना पड़ता है त्याग करना पड़ता है .....चिंकी का इस तरह तड़ाक से खुद के लिए बोलना सुरभि को अंदर तक चिंतित और क्रोधित कर गया था।
बर्थडे तो भैया का है पर सारी फरमाइश चिंकी की पूरी करनी है सब कुछ भैया की बराबरी का ही चाहिए उसे यहां तक कि जितने दोस्त और गिफ्ट्स भैया के रहेंगे उतनी ही चिंकी की भी सहेलियां और गिफ्ट्स करने हैं....अभी बचपना है फिर सुधर जाएगी यही सोच कर तो ये तीनों थैले भर कर सामान खरीदा है अब तो उठाते ही नहीं बन रहा है श्रीमान जी को तो समय ही नहीं और अगर समय हो भी तो मार्केटिंग करने के नाम से ऑफिस के हजारों काम याद आने लगते हैं..वैसे भी इन्हें कोई इंटरेस्ट ही नहीं है खरीददारी करने या करवाने में तो मजा भी नहीं आता ....!
चलना है मैडम ...??.सामने ओला ऑटो रुका पूछ रहा था हां हां चलो भैया कहते वह बैठ गई ....दुकान पहुंचते और ड्रेस खरीदते अंधेरा सा हो गया था ।
इस बार ओला बुक ही नही हो रहा था मोबाइल की बैटरी लो हो गई थी शायद इसलिए... सो उसने एक ऑटो रोक लिया था
उसका घर आनंद कॉलोनी में था जो शहर से काफी दूर नई बनी थी रास्ता थोड़ा सुनसान था अंधेरा हो चला था घर में सभी ने टोका था रास्ता सही नही है अंधेरा होने के पहले ही लौट आना लेकिन शॉपिंग करने में समय का पता भी कहां चलता है.....
रास्ते में अचानक ऑटो रुक गया "मैडम कुछ गडबड है मैं अभी ठीक कर देता हूं ...ऑटो ड्राइवर दरवाजा खोलकर उतर गया ..सूनी जगह पर रुकने से अनहोनी की आशंका से अब तो सुरभि के दिल की धड़कनें तेज हो गईं....जल्दी से मोबाइल निकाला तो बैटरी अलविदा कह चुकी थी सुबह जल्दीबाजी में चार्ज करना भूल गई थी..तभी देखा एक और ऑटो वहीं आकर रुक गया था..शायद दोनो ड्राइवर परिचित थे काफी बात चीत होने लगी सुरभि ने अपने सभी थैले जोर से पकड़ लिए भगवान को याद करने लगी...ड्राइवर की हर हरकत उसे संदिग्ध प्रतीत हो रही थी लेकिन बोलने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी उसके चेहरे से उसका डर झलक रहा था जिसे ड्राइवर भी समझ रहे थे और आपस में खुसुर फुसुर कर रहे थे उसकी और उसके सामान की तरफ इशारा करते हुए... सुरभि का दिल कर रहा था ऑटो से उतर कर भाग खड़ी हो पर कितनी दूर तक भाग पाएगी....तभी उसका ड्राइवर सुरभि के पास आया और अजब रहस्यमई मुस्कुराहट के साथ बोला " मेडम ये ऑटो में भारी गड़बड़ है सुधर नहीं पाएगा ये मेरा साथी है इसके ऑटो में आपका सामान लाइए रख देता हूं इसीमे आप जाइए ."...कह कर उसने सुरभि को बाहर आने के लिए कह बिना सुरभि की सहमति या इच्छा जाने उसके सामान की ओर हाथ बढ़ाया..सुरभि ने अपना सामान जोर से पकड़ लिया ..डर के मारे उसकी बोलती बंद ही हो गई थी..
अचानक एक कार उनके पास आकर झटके से रूकी... एक महिला जो खुद कार चला रही थी
क्या बात है महिला ने पूछा सुरभि के गले में आवाज जैसे घुट ही गई थी।
नहीं कोई बात नहीं है मेडम आप जाइए मेरा ऑटो खराब हो गया है लेकिन मेरी सवारी है मैं इन्हें दूसरे ऑटो से घर भिजवा रहा हूं ये अब मेरी जिम्मेदारी हैं आप चिंता ना करें अपना काम करें...!ड्राइवर ने तत्काल उन्हें टालते हुए कहा लेकिन तब तक वह महिला कार से उतर कर ऑटो के पास आ चुकी थी और सुरभि को देखते ही
अरे सीमा तुम!! मैं तो अभी तुम्हारे ही घर गई थी पता चला की मार्केट गई हो तो वापिस लौट रही थी चलो मुलाकात हो गई तुम्हे खुशखबरी देनी थी तुम्हारे भतीजे आकाश को इंस्पेक्टर की नौकरी मिली है और उसने तुम्हे खास तौर पर बुलाया है लो उससे बात कर लो....बिना रुके बोलते हुए उसने अपना मोबाइल निकाला और हां हां बेटा सीमा मौसी को बता दिया मैने ...तुम्हारे पुलिस इंस्पेक्टर बनने से वह बहुत खुश हैं तुम्हे बधाई दे रही हैं लो बात कर लो....बहुत ही सामान्य और सहज रूप से महिला ने बात करते हुए आंखों से आश्वासन का इशारा करते हुए सुरभि को मोबाइल पकड़ा दिया ... जैसे खास परिचित हो!!
सीमा!!!कैसी बहकी बहकी बाते कर रही है ये महिला मैं तो इसे जानती भी नहीं सुरभि सोच ही रही थी कि उस अंजान महिला ने सुरभि को अपना मोबाइल देते हुए आंख से कुछ इशारा करते हुए कहा लो सीमा आकाश से बात कर लो चलो तब तक मैं तुम्हारा सामान रखती हूं अपनी कार में
लाइए भैया आप लोग बिलकुल परेशान मत होइए मैं इसे अपने साथ ले जाऊंगी आपका कितना किराया हुआ बता दीजिए बहुत ही सामान्य रूप से कहते हुए हुए उसने सीमा का पूरा सामान ड्राइवरों के हाथो से लेते हुए अपनी कार में रख लिया और मोबाइल पकड़े अकबकाई सी खड़ी सुरभि को ठेलकर कार में बिठा लिया
......तिनके का सहारा पाती सुरभि अब सब कुछ समझ गई थी मोबाइल कानो से लगा बोलने लगी
हां हां आकाश बेटा बहुत बधाई तुमको मैं अभी पहुंच रही हूं बताओ क्या गिफ्ट लोगे मौसी से.....!
जब तक कोई ड्राइवर कुछ कहता समझता महिला ने कार स्टार्ट कर ली थी और वे वहां से रवाना हो गए थे..!
काल्पनिक आकाश से काल्पनिक बातें करते सुरभि को अपनी वाचाल बेटी चिंकी याद आ रही थी.." बेटियो को बोलना आना चाहिए खुद के लिए भी.."" बचपन से ही।
अब मैं उसे अपनी बात कहने से नहीं रोकूंगी ना डाटूंगी बल्कि इसी तरह शांत और सहजता से बाते करते हुए कठिन परिस्थिति का सामना करना सिखाऊंगी...मन ही मन सोचती सुरभि इस घोर संकट में तिनके का सहारा बन कर आ पहुंची अंजान बुद्धिमती महिला का शुक्रिया करते नही थक रही थी और वह महिला "शुक्र है आपने मेरी बात समझ ली वरना आपका चेहरा देख कर तो मुझे अपनी बातों की पोल खुलने की पूरी संभावना दिख रही थी....सीमा जी ..."!!"वैसे आपका असली नाम है क्या ..??थर्मस से पानी निकाल कर सुरभि को देते हुए उस महिला ने हंसकर कहा तो सुरभि भी अपनी उड़ी हुई शक्ल मिरर में देख कर .....जी आप सीमा ही बोलिए ना अच्छा लगता है..!"कहकर हंस पड़ी थी।
#तिनके का सहारा#

ए लल्ला ... तू जे फोर्म भर दे मेरा... पैसे निकालने हैं खाते से... एक मैली कुचैली सी साड़ी पहने उलझे हुए बाल एक गरीब औरत बैंक में पास में खड़े सूट बूट पहने एक लड़के से बोली...
किसी और से भरवा लो... मेरे पास टाइम नहीं हैं...
वो लड़का उस औरत को मना कर बाहर आ गया... वो औरत आँखों में आंसू लिए उस कागज को हाथ में पकड़े इधर उधर कोई आदमी य़ा औरत खोजने लगी जो उसका फॉर्म भर दें....
वो लड़का जैसे ही बाहर आया... अपनी चार पहिया गाड़ी का दरवाजा खोल बैठने ही वाला था कि तभी उसकी निगाह बैंक के बाहर बैठे एक गरीब आदमी पर गयी जो दीवार का सहारा लिए एक यहीं कोई पांच साल के बच्चे को लिए बैठा था.... पास में एक डंडा रखा था.... उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे... पानी की बोतल से उस बच्चे के मुंह में वो पानी डाल रहा था....
वो लड़का पता नहीं क्या सोचकर उस आदमी के पास आया और बोला.... आप रो क्यूँ रहे हैं और बैंक के बाहर क्यूँ बैठे हैं...
बेटा... मेरी पत्नी अन्दर गयी हैं पैसे निकालने... बहुत बखत हो गया पर अभी तक नहीं आयी... रोते हुए वो आदमी आंसू पोंछने लगा...
ये बच्चा कौन है ?? आपका हैं??
हां बेटा... इसे दिल की बिमारी हैं... बहुत ईलाज करा रहे हैं .. सब बिक गया हमारा पर मेरा बेटा सही नहीं हो रहा...रात से तबियत ज्यादा ही खराब हैं नीला पड़ रहा हैं... क्या करूँ मैं अपने बच्चे को मरता हुआ नहीं देख सकता.... भगवान मुझे ले ले... मेरे फूल से मासूम को बचा ले.... बहुत हिम्मती हैं मेरा बेटा तभी तो देखो चेहरे पर कैसी मुस्कान हैं इसके....
वो लड़का इतना सुन तुरंत अंदर गया... ये उसी बच्चे की माँ थी जो उस लड़के से फॉर्म भरने को कह रही थी ... वो औरत अभी भी हाथ में फॉर्म लिए खड़ी थी... उसने उसके हाथ से फॉर्म लिया... पासबुक मांगी... जल्दी से फॉर्म फिल किया... उस औरत से कहा पैसे निकलवा लो आप... उस लड़के ने उस औरत के पासबुक की फोटो खिंची ... बाहर आया.... चुपके से उस बच्चे और आदमी की भी एक फोटो ली... अपनी गाड़ी के अन्दर बैठ उसी समय ट्विटर , फेसबुक पर शेयर कर दी यह लिखकर ही ज़ितना हो सके आप लोग मदद कीजिये ये इस औरत का बैंक एकाऊंट नंबर हैं... इस पर भेज दिजिये... ये बच्चा आप लोगो की मदद से बच सकता हैं...
आज वो बच्चा बिल्कुल ठीक हो गया हैं.. वो औरत ये भी नहीं जानती कि उसके खाते में इतने पैसे आयें कहां से... उस लड़के ने उस औरत को तिनके का सहारा दिया पर उस सहारे ने उसके लाल को बचा लिया....
तिनके का सहारा

प्रसंशा चाहे कितनी भी करो
किंतु "अपमान"बहुत ही सोच समझ कर करना चाहिए
क्योंकि"अपमान"वो ऋण है जिसे हर कोई अवसर मिलने पर "ब्याज"सहित चुकाता है

हमारी तमन्नाएँ भी उम्र भर
कम नहीं होंगी
और समस्याएँ भी कभी
हल नहीं होंगी फिर भी
हम जी रहे हैं वर्षों से
इस तमन्ना में कि
मुश्किलें जो आज हैं
शायद कल नहीं होंगी

दौलत सिर्फ रहन सहन का
स्तर बदल सकती है
बुद्धि,नियत और तक़दीर नही।
प्रेम, सम्मान और अपमान..
ये एक निवेश की तरह हैं.
जितना हम दूसरो को देते है,
वो हमें जरूर...
ब्याज सहित वापस मिलता है

जिंदगी परिवर्तनों से ही बनी है,
किसी भी परिवर्तन से घबराएं नहीं बल्कि उसे स्वीकार करे!
कुछ परिवर्तन आपको सफलता दिलाएंगे तो कुछ सफल होने के गुण सिखाएंगें!!

आप जैसे हैं..
सर्वश्रेष्ठ हैं..

अपनी तुलना दूसरों से ना करें,
क्योंकि..
हर फल का स्वाद
अलग अलग होता है ।

एक पुत्र अपने वृद्ध पिता को रात्रिभोज
के लिये एक अच्छे रेस्टोरेंट में लेकर गया। खाने के दौरान वृद्ध पिता ने कई बार भोजन अपने कपड़ों पर गिराया।
रेस्टोरेंट में बैठे दूसरे खाना खा रहे लोग वृद्ध को घृणा की नजरों से देख रहे थे लेकिन उसका पुत्र शांत था।

खाने के बाद पुत्र बिना किसी शर्म के वृद्ध को वॉशरूम ले गया। उनके कपड़े साफ़ किये, चेहरा साफ़ किया, बालों में कंघी की, चश्मा पहनाया, और फिर बाहर लाया। सभी लोग खामोशी से उन्हें ही देख रहे थे।

फ़िर उसने बिल का भुगतान किया और वृद्ध के साथ बाहर जाने लगा। तभी डिनर कर रहे एक अन्य वृद्ध ने उसे आवाज दी, और पूछा - क्या तुम्हें नहीं लगता कि यहाँ अपने पीछे तुम कुछ छोड़ कर जा रहे हो?

उसने जवाब दिया - नहीं सर, मैं कुछ भी छोड़कर नहीं जा रहा।

वृद्ध ने कहा - बेटे, तुम यहाँ प्रत्येक पुत्र के लिए एक शिक्षा, सबक और प्रत्येक पिता के लिए उम्मीद छोड़कर जा रहे हो।

आमतौर पर हम लोग अपने बुजुर्ग माता-पिता को अपने साथ बाहर ले जाना पसंद नहीं करते,
और कहते हैं - क्या करोगे, आपसे चला तो जाता नहीं, ठीक से खाया भी नहीं जाता, आप तो घर पर ही रहो, वही अच्छा होगा।

लेकिन क्या आप भूल गये कि जब आप छोटे थे, और आपके माता पिता आपको अपनी गोद में उठाकर ले जाया करते थे। आप जब ठीक से खा नहीं पाते थे तो माँ आपको अपने हाथ से खाना खिलाती थी, और खाना गिर जाने पर डाँट नही प्यार जताती थी।

फिर वही माँ बाप बुढ़ापे में बोझ क्यों लगने लगते हैं?

माँ-बाप भगवान का रूप होते हैं। उनकी सेवा कीजिये, और प्यार दीजिये क्योंकि एक दिन आप भी बूढ़े होंगे।

क्रोध के समय
थोडा रुक जायें
और
गलती के समय
थोडा झुक जायें

दुनिया की सब समस्याऐं हल हो जायेगी....

ज़माना क्या कहेगा ये मत सोचो क्योंकि ज़माना बहुत अजीब है,
नाकामयाब लोगों का मज़ाक उड़ाता है और कामयाब लोगों से जलता है

(पॉजिटिविटी)


एक नर्स लंदन के हॉस्पिटल में ऑपरेशन से दो घंटे पहले मरीज़ के कमरे में घुसकर कमरे में रखे गुलदस्ते को संवारने और ठीक करने लगी।

जब वो अपने पूरे लगन के साथ काम में लगी थी, तभी अचानक उसने मरीज़ से पूछा "सर, आपका ऑपरेशन कौन सा डॉक्टर कर रहा है ?"

नर्स को देखे बिना मरीज़ ने अनमने से लहजे में कहा "डॉ. जबसन"

नर्स ने डॉक्टर का नाम सुना और आश्चर्य से अपना काम छोड़ते हुये मरीज़ के पास पहुँची और पूछा "सर, क्या डॉ.जबसन ने वास्तव में आपके ऑपरेशन को स्वीकार किया हैं ?

मरीज़ ने कहा "हाँ" मेरा ऑपरेशन वही कर रहे हैं।

नर्स ने कहा बड़ी अजीब बात है विश्वास नहीं होता।

परेशान होते हुए मरीज़ ने पूछा, लेकिन इसमें ऐसी क्या अजीब बात है ?

नर्स ने कहा, वास्तव में इस डॉक्टर ने अब तक हजारों ऑपरेशन किये हैं उसके ऑपरेशन100 प्रतिशत सफल हुए है, इनकी अति व्यस्तता की वजह से इन्हें समय निकालना बहुत मुश्किल होता है।

मैं हैरान हूँ, कि आपका ऑपरेशन करने के लिए उन्हें फुर्सत कैसे मिली?

मरीज़ ने नर्स से कहा कि यह मेरी अच्छी किस्मत है, कि डॉ जबसन को फुरसत मिली और वह मेरा ऑपरेशन कर रहे हैं।

नर्स ने बार-बार कहा, यकीन मानिए, मैं अभी भी हैरान हूं, कि दुनियां का सबसे अच्छा डॉक्टर आपका ऑपरेशन कर रहा है।

इस बातचीत के बाद मरीज को ऑपरेशन थिएटर में पहुंचा दिया गया, मरीज़ का सफल ऑपरेशन हुआ और अब मरीज़ हंसकर अपनी जिंदगी जी रहा है।

मरीज़ के कमरे में आई महिला कोई साधारण नर्स नहीं थी, बल्कि उसी अस्पताल की मनोवैज्ञानिक महिला डॉक्टर थी, जिसका काम मरीजों को मानसिक और मनोवैज्ञानिक रूप से संचालित और संतुष्ट करना था।

जिस पर मरीज़ शक भी नहीं कर सकता था, और इस बार इस महिला डॉक्टर ने अपना काम मरीज़ के कमरे में गुलदस्ता सजाते हुये कर दिया था और बहुत खूबसूरती से मरीज़ के दिल और दिमाग में बिठा दिया था कि जो डॉक्टर इसका ऑपरेशन करेगा वो दुनिया का मशहूर और सबसे सफल डॉक्टर है।

जिसका हर ऑपरेशन सफल ऑपरेशन होता है और इसी पॉजिटिविटी ने मरीज के अन्दर के डर को खत्म कर दिया था और मरीज ऑपरेशन थियेटर के अन्दर यह सोचकर गया कि अब तो मेरा आपरेशन सफल होकर रहेगा, मैं बेकार में इतनी चिंता कर रहा था।

पॉजिटिविटी लोगों को दीजिये...!

ज़माने से शिकायत न करो,
बल्कि ख़ुद को बदलो क्योंकि
पांव को गंदगी से बचाने का
तरीक़ा जूता पहनना है, न कि
सारे शहर में क़ालीन बिछाना।

पेड़ के नीचे रखी भगवान की
टूटी मूर्ति को देख कर समझ आया,
कि..
परिस्थिति चाहे कैसी भी हो,
पर कभी ख़ुद को
टूटने नही देना..
वर्ना ये दुनिया
जब टूटने पर भगवान को
घर से निकाल सकती है
तो फिर हमारी तो
औकात ही क्या है ...

सेलो टेप हो या सम्बन्ध...
अंत में एेसे न छोड़ देना,
कि वापिस ढूंढ़ने के लिये
खरोचना पड़े .

सृष्टि का एक नियम है
जो बांटोंगे वही आपके पास बेहिसाब होगा
फिर वह चाहे धन हो , अन्न हो सम्मान हो ,
अपमान हो नफरत हो या मोहब्बत

जो "आपके" हैं, वो आपको देखकर "व्यस्त" नही हो सकते!
और....
जो आपको देखकर "व्यस्त" हो जायें, वो "आपके" नही हो सकते!!

रिश्तों में गलतफहमी का आना
स्वाभाविक हैं, लेकिन हमें हमेशा
गलतफहमियों को खत्म करने के
लिए सोचना चाहिए, रिश्तों को
नहीं।

शरीर में कोई सुन्दरता नहीं है ! सुन्दर होते हैं व्यक्ति के कर्म, उसके विचार, उसकी वाणी, उसका व्यवहार, उसके संस्कार, और उसका चरित्र ! जिसके जीवन में यह सब है, वही इंसान दुनिया का सबसे सुंदर शख्स है और जमाना भी उसी का दीवाना है.

हमसफ़र ,दोस्त, किताब, रास्ता, और सोच
ये पांचों सही मिले
तो जिंदगी निखर जाती है, वर्ना बिखर जाती है।

जो नि:शुल्क है,
वही सबसे ज्यादा कीमती है...
नींद, शांति, आनंद, हवा, पानी, प्रकाश, ओर सांसें...

बिना फल वाले सूखे पेड़ पर कभी कोई पत्थर नहीं फैंकता। पत्थर तो लोग उसी पेड़ पर मारते हैं जो फलों से लदा होता है।
शख़्सियत अच्छी होगीतभी लोग उस में बुराइयाँ खोजेंगे, वरना बुरे की तरफ़ देखता ही कौन है।

रिश्ता क्या है ये जानने से अच्छा
अपनापन कितना है ये महसूस कीजिए...

किस्मत करवाती है
कटपुतली का खेल जनाब!
वरना,
ज़िन्दगी के रंगमंच पर कोई भी
कलाकार कमज़ोर नहीं होता!!
मिट्टी के दीपक सा है ये जीवन..
तेल खत्म खेल खत्म....

अगर आप सूर्य की तरह चमकना चाहते हो, तो पहले सूर्य की तरह जलना सीखो|

इससे पहले कि सपने सच हों आपको सपने देखने होंगे|

हम सभी के पास एक समान प्रतिभा नहीं होती, लेकिन हम सभी के पास अपनी प्रतिभा को विकसित करने समान अवसर होते हैं

जीवन में कठिनाइयाँ हमे बर्बाद करने नहीं आती है, बल्कि यह हमारी छुपी हुई सामर्थ्य और शक्तियों को बाहर निकलने में हमारी मदद करती है| कठिनाइयों को यह जान लेने दो की आप उससे भी ज्यादा कठिन हो।

मुसीबतों से भागना, नयी मुसीबतों को निमंत्रण देने के समान है| जीवन में समय-समय पर चुनौतियों एंव मुसीबतों का सामना करना पड़ता है एंव यही जीवन का सत्य है| एक शांत समुन्द्र में नाविक कभी भी कुशल नहीं बन पाता

आप यह नहीं कह सकते कि आपके पास समय नहीं है क्योंकि आपको भी दिन में उतना ही समय (24 घंटे) मिलता है जितना समय महान एंव सफल लोगों को मिलता है|

सपने वो नहीं है जो हम नींद में देखते है, सपने वो है जो हमको नींद नहीं आने देते।

हम चाहें तो अपने आत्मविश्वास और मेहनत के बल पर अपना भाग्य खुद लिख सकते है और अगर हमको अपना भाग्य लिखना नहीं आता तो परिस्थितियां हमारा भाग्य लिख देंगी|

बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं क्योंकि लौटने पर आपको उतनी ही दूरी तय करनी पड़ेगी जितनी दूरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुँच सकते है|

इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं| हम वो सब कर सकते है, जो हम सोच सकते है और हम वो सब सोच सकते है, जो आज तक हमने नहीं सोचा|

भीड़ हमेशा उस रास्ते पर चलती है जो रास्ता आसान लगता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं की भीड़ हमेशा सही रास्ते पर चलती है| अपने रास्ते खुद चुनिए क्योंकि आपको आपसे बेहतर और कोई नहीं जानता|

जब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाइयों की वजह दूसरों को मानते है, तब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाइयों को मिटा नहीं सकते|

याद रहे, जिस वक्त हम किसी
का अपमान कर रहे होते है
उस वक्त हम अपना
सम्मान खो रहे होते है...

आगे बढ़ने वाला व्यक्ति कभी
किसीको बाधा नहीं पहुंचाता
और
दूसरों को बाधा पहुंचाने वाला
व्यक्ति कभी आगे नहीं बढ़ता।

" वक्त " कहता है
मैं फिर न आऊंगा,
मुझे खुद नहीं पता
तुझे हसाऊंगा या रुलाऊंगा,
जीना है तो इस पल को जी ले,
"क्योंकि"
मै किसी भी हाल में इस पल को,
अगले पल तक रोक न पाऊंगा।

किसी का सरल स्वभाव
उसकी कमज़ोरी नहीं होता है
उसके संस्कार होते है...

मीलों का सफर
एक पल में बर्बाद हो गया,
जब अपनों ने कहा
_कहो कैसे आना हुआ.

आर्थिक स्थिति कितनी भी
अच्छी हो
जीवन का सही आनंद
लेने के लिए
मानसिक स्थिती
अच्छी होनी चाहिए..

कोई हमारी गलतियां निकालता है तो
हमें खुश होना चाहिए..
क्योंकि
कोई तो है जो हमें पूर्ण दोष रहित
बनाने के लिए
अपना दिमाग और
समय दे रहा है ।

इंसान को इंसान कभी धोखा नहीं देता बल्कि इंसान को वो उम्मीदें धोखा दे जाती है जो वो दूसरे से रखता है |

जिंदगी जबरदस्त है....!!
इसे जबरदस्ती ना जियें....!!
बल्कि जबरदस्त तरीके से जियें...!!

दो बातों की गिनती करना छोड़ दिजिये....
खुद का दु:ख...😞
और दुसरे का सुख....😃
ज़िन्दगी आसान हो जाएगी...

दान करने से रुपया जाता है!
"लक्ष्मी" नहीं!...
घड़ी बंद करने से घड़ी बंद होती है!
"समय" नहीं!...
झूठ छुपाने से झूठ छुपता है!
"सच" नहीं !...

माना दुनियाँ बुरी है ,सब जगह धोखा है,
लेकिन हम तो अच्छे बने ,हमें किसने रोका है !

रिश्तें " मौके " के नहीं ..,
" भरोसे" के मोहताज होते है।

मिलता तो बहुत कुछ है
इस ज़िन्दगी में

बस हम गिनती उसी की करते है,
जो हासिल ना हो सका...

"जरूर कोई तो लिखता होगा...
कागज और पत्थर का भी नसीब...
वरना ये मुमकिन नहीं की...
कोई पत्थर ठोकर खाये और कोई पत्थर भगवान बन जाये...
और...
कोई कागज रद्दी और कोई कागज गीता बन जाये"...!

छोटी और सूंदर लाइन

सिर्फ सुकून ढूँढिये....

जरूरतें तो कभी
खत्म नही होंगी ..

"न मैं गिरा
और न मेरी उम्मीदों के मीनार गिरे..!
पर.. लोग मुझे गिराने मे कई बार गिरे...!!"

सवाल जहर का नहीं था
वो तो मैं पी गया,
तकलीफ लोगों को तब हुई,
जब मैं जी गया.

"मुस्कुराना" सीखना पड़ता है ...!*
"रोना" तो पैदा होते ही आ जाता हैं

🍀 इंसान ने वक़्त से पूछा...
" मै हार क्यूं जाता हूँ ?"🍀

🍀 वक़्त ने कहा..
"धूप हो या छाँव हो,
काली रात हो या बरसात हो,
चाहे कितने भी बुरे हालात हो,
मै हर वक़्त चलता रहता हूँ,
इसीलिये मैं जीत जाता हूँ,🍀
🍀 तू भी मेरे साथ चल,
कभी नहीं हारेगा" ।🍀

आहिस्ता से पढना-- एक वाक्य भी दिल में बैठ गया तो कविता सार्थक हो जायेगी:---

मैं रूठा ,
तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन ?

आज दरार है ,
कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन ?

मैं चुप ,
तुम भी चुप
इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन ?

छोटी बात को लगा लोगे दिल से ,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ?

दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर ,
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ?

न मैं राजी ,
न तुम राजी ,
फिर माफ़ करने का बड़प्पन
दिखाएगा कौन ?

डूब जाएगा यादों में दिल कभी ,
तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ?

एक अहम् मेरे ,
एक तेरे भीतर भी ,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन ?

ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ?
फिर इन लम्हों में अकेला
रह जाएगा कौन ?

मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन
एक ने आँखें....पछतायेगा कौन ?

Respect Each Other
Ignore Mistakes
Avoid Ego

अंधे को मंदिर आया देखकर
लोग हंसकर बोले की,

मंदिर में दर्शन के लिए आये तो हो
पर क्या भगवान् को देख पाओगे ?

अंधे ने मुस्कुरा के कहा की,
क्या फर्क पड़ता है, मेरा भगवान्
तो मुझे देख लेगा.

द्रष्टि नहीं द्रष्टिकोण सही होना चाहिए !!

।। "उम्मीदों" से बंधा,
एक जिद्दी परिंदा है इंसान...
जो घायल भी "उम्मीदों" से है...
और, जिन्दा भी "उम्मीदों" पर हैं...।।

ये मोबाइल ......
यूं ही हट्टा कट्टा नहीं हुआ है
बहुत कुछ खाया-पिया है इसने
मसलन .....
ये हाथ की घड़ियाँ खा गया
ये चिट्ठी पत्रियाँ खा गया
ये रेडियो खा गया
ये टेप रिकार्डर खा गया ।
ये टार्च लाइटें खा गया
ये किताबें खा गया ।
ये पड़ोस की दोस्ती खा गया
ये हमारा वक्त खा गया ।
ये पैंसे खा गया l
ये रिश्ते खा गया।
ये तंदुरुस्ती खा गया l
ये मेल मिलाप खा गया l
कमबख्त...ये मोबाइल
यूँ ही हट्टा कट्टा नहीं हुवा है ।
बहुत कुछ खाया-पिया है इसने ॥
इतना कुछ खा कर ही स्मार्ट बना है

ख़ुशी जल्दी में थी रुकी नहीं,
ग़म फुरसत में थे - ठहर गए...!
"लोगों की नज़रों में फर्क अब भी नहीं है ....
पहले मुड़ कर देखते थे ....
अब देख कर मुड़ जाते हैं
आज परछाई से पूछ ही लिया
क्यों चलती हो , मेरे साथ
उसने भी हँसके कहा,
दूसरा कौन है तेरे साथ

जब हम रिश्तों के लिए
वक़्त नही निकाल पाते
तो वक़्त हमारे बीच से
रिश्ता निकाल देता है

कक्षा में शिक्षक ने पूछा :
" गांव और शहर में क्या अन्तर है .
एक बालक नें बहुत सुन्दर उत्तर दिया :
" इतना ही अन्तर है कि गांव में कुत्ते आवारा घूमते हैं और गौमाता पाली जाती है ... और शहर में कुत्ता पाला जाता है और गौमाता आवारा घुमती हैं
" मेरे गांव का अनपढ़ आदमी गाय चराने जाता है. और शहर का पढ़ा लिखा आदमी कुत्ता टहलाने जाता है ! "जीवन का कड़वा सच "
" अनाथ आश्रम में बच्चे मिलतें हैं , गरीबो के " और ...
" वृद्धाश्रम में बुजुर्ग मिलतें हैं , अमीरों के " ...
वक्त के साथ सब बदल जाता है , पुराने ज़माने में जिसे ... ...
" 👍 ठेंगा कहते थे , उसे आज 👍 Like कहते है...

गुजरी हुई जिंदगी को
कभी याद ना कर
तकदीर में जो लिखा है
उसकी फरियाद ना कर *जो होगा वो होकर रहेगा *
तु कल की फिकर में
अपनी आज की हंसी बर्बाद ना कर.
हंस मरते हुए भी गाता है और
मोर नाचते हुए भी रोता है.
ये जिंदगी का फंडा है
दुखो वाली रात नींद नहीं आती
" और " खुशी वाली रात कौन सोता है

"""" लक्ष्मी""""
अगर
मेहनत से मिलती, तो
. मजदूरों
के पास क्यों नही..?
बुद्धि से मिलती तो,
चालाक और चतुरों
के पास क्यों नही..?
ताकत से मिलती तो,
पहलवानों
के पास क्यों नही...😊
लक्ष्मी सिर्फ "पुण्य" से मिलती है और पुण्य केवल "धर्म" "कर्म" "निःस्वार्थ सेवा"से ही मिलता है

खुशी के लिए काम करोगे तो
ख़ुशी नहीं मिलेगी..

लेकिन खुश होकर काम करोगे,
तो ख़ुशी और सफलता दोनों
ही मिलेगी !

ख़ुशी उनको नही मिलती
जो अपनी शर्तों पे
ज़िन्दगी जिया करते है
ख़ुशीउनको मिलती है
जो दुसरो की ख़ुशी के
लिए अपनी शर्ते बदल
लिया करते है।

पैर में से काँटा निकल जाए तो..
चलने में मज़ा आ जाता है,
और मन में से अहंकार निकल जाए तो..
जीवन जीने में मज़ा आ जाता है..
चलने वाले पैरों में कितना फर्क है ,
एक आगे है तो एक पीछे ।
पर ना तो आगे वाले को अभिमान है
और ना पीछे वाले को अपमान ।
क्योंकि उन्हें पता होता है
कि पलभर में ये बदलने वाला है ।
" इसी को जिन्दगी कहते है "?

"ख्वाहिश............
बड़ी बेवफ़ा होती है....

पूरी होते ही........
बदल जाती है..!!

चार कीमती रत्न
मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप इससे जरूर धनवान होंगे ।
1.पहला रत्न है: "माफी"
तुम्हारे लिए कोई कुछ भी कहे, तुम उसकी बात को कभी अपने मन में न बिठाना, और ना ही उसके लिए कभी प्रतिकार की भावना मन में रखना, बल्कि उसे माफ़ कर देना।
2.दूसरा रत्न है: "भूल जाना"
अपने द्वारा दूसरों के प्रति किये गए उपकार को भूल जाना, कभी भी उस किए गए उपकार का प्रतिलाभ मिलने की उम्मीद मन में न रखना।
3.तीसरा रत्न है: "विश्वास"
हमेशा अपनी महेनत और उस परमपिता परमात्मा पर अटूट विश्वास रखना । यही सफलता का सूत्र है ।
4.चौथा रत्न है: "वैराग्य"
हमेशा यह याद रखना कि जब हमारा जन्म हुआ है तो निशिचत हि हमें एक दिन मरना ही है। इसलिए बिना लिप्त हुवे जीवन का आनंद लेना । वर्तमान में जीना। यही जीवन का असल सच है |

इंसान का अपना क्या है ??

जन्म : दूसरे ने दिया
नाम : दूसरे ने रखा
शिक्षा : दूसरे ने दी
रोजगार : दूसरे ने दिया
इज़्ज़त : दूसरों ने दी
पहला/आखरी स्नान : दूसरे कराएँगे
मरने के बाद संपत्ति : दूसरे बांट लेंगे
शमशान : दूसरे ले जायेंगे।

फिर भी बेकार में घमंड किस बात पर करते हैं लोग !!

छोटी' लेकिन 'बड़ी' बात -
'लोग' बहुत -
'अच्छे' होते हैं . . .
अगर 'वक़्त' हमारा 'अच्छा' हो !

"सफर का मजा लेना हो तो साथ में सामान कम रखिए और जिंदगी का मजा लेना हैं तो दिल में अरमान कम रखिए, तज़ुर्बा है मेरा मिट्टी की पकड़ मजबुत होती है, संगमरमर पर तो हमने पाँव फिसलते देखे हैं. जिंदगी को इतना सिरियस लेने की जरूरत नही यारों, यहाँ से जिन्दा बचकर कोई नही जायेगा! जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो मज़े से भीगते रहे बारिश में जिनके जेब में नोट थे वो छत तलाशते रह गए पैसा इन्सान को ऊपर ले जा सकता है; लेकिन इन्सान पैसा ऊपर नही ले जा सकता कमाई छोटी या बड़ी हो सकती है, पर रोटी की साईज़ लगभग सब घर में एक जैसी ही होती है। शानदार बात इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले, और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले, कर्मो से ही पहेचान होती है इंसानो की महेंगे 'कपडे' तो,'पुतले' भी पहनते है दुकानों में

"Always bear in Mind that your own Resolution to Succeed Is more important than any one thing." - Abraham Lincoln

"Winners Don't Do Different Things. They Do Things Differently." - Shiv Khera.

"The best gift that you can ever give your kids is the gift of your time." - Robin Sharma

"Ask not what your country can do for you. Ask what you can do for your country." - John F. Kennedy.

"Everything is easy when you are busy. But nothing is easy when you are lazy." - Swami Vivekananda.

"Everyone thinks of changing the world, but no one thinks of changing himself." - Leo Tolstoy .

"Patience is a bitter plant but it has a sweet fruit." - German Proverb.

"If everything's under control, you are going too slow." - Mario Andretti.

"A drop of honey catches more flies than a gallon of gall." - Abraham Lincoln

"Our greatest battles are that with our own minds." - Jameson Frank

"Blaming others is excusing yourself." - Robin Sharma

"If you tell the truth you don't have to remember anything." - Mark Twain.

"Never trust a man who speaks well of everybody." - John Collins

"If you do not drive your business, you will be driven out of business." - Bertie Charles Forbes.

"Work hard for what you want because it won't come to you without a fight. You have to be strong and courageous and know that you can do anything you put your mind to. If somebody puts you down or criticizes you ,just keep on believing in yourself and turn it in to something positive." - Leah LaBelle

"Obstacles don't have to stop you. If you run into a wall, don't turn around and give up. Figure out how to climb it, go through it, or work around it." - Michael Jordan

"Do not wait the time will never be 'just right.' Start where you stand, and work with whatever tools you may have at your command, and better tools will be found as you go along." - George Herbert

"Life is really simple, but we insist on making it complicated." - Confucius